Indian Constitution Amendment Process notes in Hindi

संविधान संशोधन प्रक्रिया, Constitution Amendments

भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया

 

भूमिका (Introduction):

यह तो हम सभी जानते हैं की भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। यह केवल कानूनों का संग्रह नहीं है, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन की आत्मा भी है। संविधान निर्माताओं ने पहले ही यह भली-भांति समझ लिया था कि समय के साथ समाज बदलता है, परिस्थितियाँ बदलती हैं और जरूरतें भी लगातार बदलती रहती हैं। इसी कारण भारतीय संविधान को लचीला (Flexible) और परिवर्तनशील (Dynamic) बनाने के लिए उसमें संशोधन की प्रक्रिया रखी गई है।

 

भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया अनुच्छेद 368 में दी गई है। इस प्रक्रिया के माध्यम से संसद कभी भी संविधान में आवश्यक बदलाव कर सकती है, लेकिन यह बदलाव पूर्ण रूप से मनमाना नहीं हो सकता, यानी की सरकार अपनी पार्टी या अपने हिसाब से संशोधन नहीं कर सकती। संविधान की मूल भावना और ढांचे को सुरक्षित रखा गया है।

 

इस लेख में हम विस्तार से इन सभी बिन्दुओं को जानेंगे:

  1. संविधान संशोधन का अर्थ क्या है
  2. संविधान में संशोधन की आवश्यकता क्यूँ है
  3. संविधान संशोधन प्रक्रिया का इतिहास क्या है
  4. अनुच्छेद 368 की पूरी व्याख्या की जाएगी
  5. संविधान संशोधन के प्रकार क्या क्या हैं
  6. संशोधन की चरणबद्ध प्रक्रिया को समझेंगे
  7. प्रमुख संविधान संशोधन क्या है
  8. संविधान संशोधन में न्यायपालिका की भूमिका क्या है
  9. संविधान संधोधन में मूल संरचना सिद्धांत क्या है
  10. संशोधन प्रक्रिया का महत्व और आलोचना भी देखेंगे

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संविधान संशोधन का अर्थ क्या है? (What is the meaning of Constitutional Amendment)

संविधान संशोधन का अर्थ है संविधान के किसी भी अनुच्छेद, अनुसूची या प्रावधान में परिवर्तन करना, नया जोड़ना या समय के अनुसार किसी को हटाना।

 

सरल शब्दों में:

जब संसद संविधान के किसी हिस्से को बदलती है, उसे जोड़ती है या हटाती है, तो उसे संविधान संशोधन कहते हैं।

 

संविधान संशोधन का उद्देश्य क्या है:

संविधान को समय के अनुरूप बनाना, जिससे मौजूदा समय की समस्स्याओं को हल किया जा सके|

नई सामाजिक और राजनीतिक जरूरतों को पूरा करना, समाज हमेशा बदलता रहता है, इसी लिए ज़रूरतें भी बदलती रहती है, देश में रहने वालों की समस्स्याएं भी बदलती है, इस लिए ऐसा करना ज़रूरी हो जाता हैं|

शासन व्यवस्था को प्रभावी बनाना,

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संविधान संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी? (Need for Constitutional Amendment)

 

संविधान निर्माताओं ने पहले ही यह स्वीकार कर लिया था की कोई भी संविधान पूर्ण नहीं हो सकता। समय के साथ नई चुनौतियाँ सामने आती हैं, और समय समय पर संशोधन की आवश्यकता पड़ती है।

 

संविधान संशोधन की आवश्यकता के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

  1. सामाजिक परिवर्तन, समय के साथ समाज में परिवर्तन होता है
  2. आर्थिक सुधार, नई नई तकनीक और विश्व की राजनीती के कारण आर्थिक संकट का खतरा बना रहते हैं
  3. प्रशासनिक सुधार,
  4. संघ और राज्य संबंधों में संतुलन, भारत जैसे देश में इसकी बहोत आवश्यकता है
  5. न्यायपालिका के निर्णय, समाज और समय के अनुसार न्याय पारदर्शी हों
  6. लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करना,

 

उदाहरण के लिए:

  • पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने हेतु 73वां संशोधन किया गया था
  • शहरी स्थानीय निकायों के लिए 74वां संशोधन किया गया था
  • शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने हेतु 86वां संशोधन किया गया था

भारत की शासान प्रणाली को समझने के लिए इस लेख को ज़रूर पढ़िए The Indian system of government

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भारतीय संविधान में संशोधन का इतिहास (Historical Background)

भारत में अब तक 100 से भी अधिक बार संविधान संशोधन हो चुके हैं। सबसे पहला संशोधन वर्ष 1951 में किया गया था।

 

पहला संविधान संशोधन (1951)

  • भूमि सुधार कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए किया गया था
  • इसके लिए अनुच्छेद 19 में प्रतिबंध जोड़े गए थे

 

42वां संविधान संशोधन (1976)

  • इसे मिनी संविधान भी कहा जाता है
  • इसमें समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्द जोड़े गए हैं
  • इस के माध्यम से संसद की शक्तियाँ बढ़ाई गईं हैं

 

44वां संविधान संशोधन (1978)

  • आपातकाल से संबंधित प्रावधानों में सुधार किए गए हैं
  • मौलिक अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित किया गया है

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अनुच्छेद 368: संविधान संशोधन की आत्मा

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 368 संविधान संशोधन की प्रक्रिया को परिभाषित करता है।

अनुच्छेद 368 के अनुसार:

  • इस अनुच्छेद के अनुसार संसद को संविधान संशोधित करने की शक्ति प्राप्त है
  • लेकिन यह शक्ति पूर्ण नहीं है
  • आवश्यकता होने पर न्यायपालिका इसकी समीक्षा कर सकती है

 

अनुच्छेद 368 यह भी स्पष्ट करता है कि:

  • संविधान संशोधन कोई साधारण कानून नहीं है, बल्कि विशेष प्रक्रिया से किया जाता है।
  • इसी लिए इसे कभी भी नहीं किया जा सकता, इसके लिए एक अलग से लम्बी प्रक्रिया है।

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भारतीय संविधान संशोधन के प्रकार (Types of Constitutional Amendment)

भारतीय संविधान में संशोधन को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बाँटा गया है।

 

1. साधारण बहुमत द्वारा संशोधन (Simple Majority)

इस प्रकार के संशोधन के लिए:

संसद के दोनों सदनों में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का साधारण बहुमत ही पर्याप्त होता है।

 

इन विषयों में संशोधन:

  • राज्यों का गठन
  • राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन
  • संसद की कार्यवाही
  • नागरिकता संबंधी प्रावधान

 

2. विशेष बहुमत द्वारा संशोधन (Special Majority)

इसमें आवश्यकता होती है: 

  • सदन की कुल सदस्य संख्या का बहुमत का होना
  • उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत प्राप्त होना

इस प्रकार से संशोधित किए जाने वाले विषय:

  • मौलिक अधिकार
  • नीति निर्देशक तत्व
  • केंद्र और राज्य संबंध

 यह सबसे सामान्य संशोधन प्रक्रिया होती है।

 

3. विशेष बहुमत + राज्य विधानसभाओं की स्वीकृति

यही वह प्रक्रिया है जो सबसे कठोर है।


इसमें आवश्यकता होती है:

  • संसद में विशेष बहुमत का होना
  • कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं की स्वीकृति होनी चाहिए

 

इसमें संशोधन:

  • राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया
  • संघीय ढांचा
  • उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय

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संविधान संशोधन की प्रक्रिया (Step by Step Process)

संविधान संशोधन की प्रक्रिया निम्न चरणों में पूरी होती है:

 

चरण 1: संविधान संशोधन विधेयक का प्रस्तुतीकरण:

  • इसे संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है मंत्री या निजी सदस्य द्वारा


चरण 2: संसद में चर्चा और मतदान

  • इसे दोनों सदनों में अलग-अलग पारित होना आवश्यक होता है
  • संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं होता है

 

3: राज्यों की स्वीकृति (यदि आवश्यक हो)

  • कम से कम आधे राज्यों की सहमति होना अनिवार्य है

 

चरण 4: राष्ट्रपति की स्वीकृति

  • राष्ट्रपति की स्वीकृति अनिवार्य होती है
  • राष्ट्रपति इसे अस्वीकार नहीं कर सकते हैं

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न्यायपालिका की भूमिका (Role of Judiciary)

संविधान संशोधन की प्रक्रिया में न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

 

प्रमुख मामले इस प्रकार हैं:

  1. शंकरी प्रसाद केस  साल (1951) में
  2. गोलकनाथ केस साल (1967) में
  3. केशवानंद भारती केस साल (1973) में

मूल संरचना सिद्धांत (Basic Structure Doctrine)

केशवानंद भारती केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था की...

संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन संविधान की मूल संरचना को कभी भी नष्ट नहीं कर सकती है।

 

संविधान की मूल संरचना में शामिल हैं:

  • संविधान की सर्वोच्चता
  • लोकतंत्र
  • धर्मनिरपेक्षता
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता
  • संघीय ढांचा
  • मौलिक अधिकार

भारत की शासान प्रणाली को समझने के लिए इस लेख को ज़रूर पढ़िए The Indian system of government

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प्रमुख संविधान संशोधन (Important Constitutional Amendments)

 

कुछ महत्वपूर्ण संशोधन जैसे की:

  • 42वां संशोधन जिसे  मिनी संविधान भी कहा जाता है
  • 44वां संशोधन मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए
  • 73वां और 74वां संशोधन स्थानीय स्वशासन के लिए
  • 86वां संशोधन शिक्षा का अधिकार हर नागरिक के लिए
  • 101वां संशोधन – GST आर्थिक कारणों के लिए

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संविधान संशोधन प्रक्रिया का महत्व (Importance)

 

संविधान संशोधन प्रक्रिया:

  • यह संविधान को जीवंत बनाए रखती है
  • यह लोकतंत्र को मजबूत करती है
  • यह सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती है
  • यह शासन में सुधार लाती है

 

संविधान संशोधन की आलोचना (Criticism)

आलोचना के प्रमुख बिंदु:

  • इसके मध्यम से संसद को अधिक शक्ति प्राप्त है
  • राजनीतिक दुरुपयोग, सत्ता में बैठी पार्टी मनमानी कर सकती है
  • राज्यों की सीमित भूमिका, राज्यों को कम अधिकार प्राप्त हैं
  • न्यायपालिका और संसद में टकराव होने का खतरा बना रहता है

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भारतीय संशोधन प्रक्रिया की विशेषताएँ

  • यह न तो बहुत कठोर है और न ही बहुत लचीली है
  • संतुलित व्यवस्था है
  • संघीय ढांचे की सुरक्षा है
  • लोकतांत्रिक नियंत्रण बनाए रखने के लिए उपयोगी है

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निष्कर्ष (Conclusion)

भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया संविधान की आत्मा को जीवित रखने का बहोत ही बड़ा माध्यम है। यह प्रक्रिया भारत को एक लचीला, प्रगतिशील और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाती है। संसद और न्यायपालिका के संतुलन से संविधान की गरिमा हमेशा बनी रहती है।

संविधान संशोधन प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि.... परिवर्तन हो, लेकिन संविधान की मूल भावना सुरक्षित हमेशा रहे।


भारत की शासान प्रणाली को समझने के लिए इस लेख को ज़रूर पढ़िए The Indian system of government

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