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बादशाह
शाहजहाँ
जीवन, शासन, वास्तुकला और मुगल साम्राज्य में
योगदान
बादशाह शाहजहाँ मुगल साम्राज्य के पाँचवें शासक थे और उन्हें भारत के इतिहास में सबसे महान वास्तुकला-प्रेमी बादशाह के रूप में जाना जाता है। उनके शासनकाल को "स्वर्णिम युग" कहा जाता है, क्योंकि इस समय मुगल कला, स्थापत्य, संस्कृति और धन-वैभव अपनी चरम सीमा पर था।
इस लेख में हम शाहजहाँ के जीवन, प्रशासन, नीतियों और योगदान को सरल और आसानी से समझने वाली भाषा में जानेंगे, इसी के साथ तैयार किये गए MCQ QUIZ को भी हल कर यह जानेंगे की हमें कितना ज्ञान प्राप्त हुआ।
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शाहजहाँ का प्रारंभिक जीवन:
शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी 1592 को लाहौर
(वर्तमान: पाकिस्तान) में हुआ था। उनका बचपन का नाम खुर्रम था। वे बादशाह
जहाँगीर और महारानी मान बाई के पुत्र थे। बचपन से ही वे बुद्धिमान, बहादुर और कला-प्रेमी थे। उन्हें सैन्य
रणनीति, घुड़सवारी और प्रशासनिक कौशल की शिक्षा
दी गई थी, ताकि वो आगे चल कर हर मैदान फ़तेह कर सके।
खुर्रम को मुगल दरबार में बहुत सम्मान मिला और युवावस्था में ही उन्हें कई महत्वपूर्ण अभियानों की जिम्मेदारी दे दी गई थी।
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सिंहासन पर बैठना:
जहाँगीर की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार
का संघर्ष शुरू हो गया था। कई विद्रोहों और राजनीतिक संघर्षों के बाद 1628 में खुर्रम
ने शाहजहाँ नाम से मुगल सिंहासन को संभाला।
उनके शासनकाल की शुरुआत ही शक्ति, स्थिरता और वैभव के प्रतीक के रूप में
हुई थी।
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शाहजहाँ के समय का शासन और विस्तार:
शाहजहाँ का प्रशासन बहोत मजबूत, व्यवस्थित और शक्ति-संपन्न था। उनके
शासनकाल में मुगल साम्राज्य अपनी सबसे बड़ी सीमाओं तक फैला था।
इन के द्वारा दक्षिण भारत में दक्कन के कई क्षेत्रों पर कब्ज़ा किया गया था।
कंधार को वापस पाने की कोशिश की गई, हालांकि यह पूरी तरह सफल नहीं हो पाया
था।
सेना को मजबूत बनाया गया और मनसबदारी
प्रणाली को व्यवस्थित तरीके से लागू किया गया था।
शाहजहाँ के समय में व्यापार, कृषि, उद्योग और राजस्व प्रणाली अच्छी तरह विकसित हुई, जिसके कारण साम्राज्य आर्थिक रूप से
बहुत समृद्ध हुआ।
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मुमताज़ महल और ताजमहल का निर्माण:
शाहजहाँ के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण
घटना रही है उनकी प्रिय पत्नी मुमताज़ महल की मृत्यु।
1631 में प्रसव के दौरान मुमताज़ की
मृत्यु हो गई, जिससे शाहजहाँ पूरी तरह टूट गए थे।
उन्हीं की याद में शाहजहाँ ने विश्व प्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण करवाया, जिसे आज भी "प्रेम का प्रतीक" माना जाता है।
ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ था जिसे पूरा होने में लगभग 22 वर्षो सा समय लगा था। इसे सफेद संगमरमर से बनाया गया है और इसमें फारसी, तुर्की और भारतीय वास्तुकला का अनोखा मिश्रण दिखाई देता है।
ताजमहल आज UNESCO विश्व धरोहर स्थल में शामिल है और विश्व की सबसे सुंदर
इमारतों में से एक माना जाता है।
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शाहजहाँ की वास्तुकला उपलब्धियाँ:
शाहजहाँ को वास्तुकला से बहुत प्रेम
था। उन्होंने अपने शासनकाल में कई अद्भुत इमारतें बनवाईं:
उन इमारतों की सूचि इस प्रकार है
- लाल किला (Red Fort), दिल्ली
- जामा मस्जिद, दिल्ली
- मोती मस्जिद, आगरा
- आगरा किले के कई भाग
- शालीमार बाग, लाहौर
शाहजहाँ की ज़्यादातर वास्तुकला में सफेद संगमरमर, जटिल नक्काशी और कलात्मक डिजाइन देखने को मिलते हैं।
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शाहजहाँ का अंतिम जीवन और मृत्यु:
शाहजहाँ के अंतिम वर्षों में उनके
बेटों—औरंगज़ेब, दारा शिकोह, शुजा और मुराद—के बीच सत्ता संघर्ष छिड़ गया, जो आगे
चल कर बहोत ही खतरनाक रूप ले लिया।
1658 में औरंगज़ेब ने अपने पिता
शाहजहाँ को सत्ता से हटाकर आगरा किले में कैद कर दिया।
शाहजहाँ ने अपने अंतिम वर्ष उसी किले में बिताए, जहाँ से वे दूर स्थित ताजमहल को देखते रहते थे, यह समय उनके जीवन के सबसे बुरे दिनों में से था।
1666 में शाहजहाँ की मृत्यु हो गई और उन्हें मुमताज़ महल के साथ ताजमहल में ही दफना दिया गया।
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निष्कर्ष:
शाहजहाँ मुगल साम्राज्य के सबसे महान
शासकों में से एक थे। उनका शासन न केवल राजनीतिक रूप से मजबूत था, बल्कि कला, संस्कृति और वास्तुकला के कारण भी
अद्वितीय माना गया है।
ताजमहल जैसे अद्भुत निर्माण आज भी उनकी प्रतिभा, प्रेम और कलात्मक दृष्टि का प्रमाण हैं। भारतीय इतिहास में शाहजहाँ का नाम सदैव वास्तुकला, समृद्धि और मुगल वैभव के स्वर्णिम काल के रूप में याद किया जाएगा।
