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बादशाह
औरंगजेब
जीवन, शासन, विस्तार और मुगल साम्राज्य में योगदान
बादशाह औरंगजेब मुगल साम्राज्य के छठे
और अंतिम महान शासक माने जाते हैं। औरंगजेब को कठिन अनुशासित, धर्मनिष्ठ और विस्तारवादी शासक के रूप
में जाना जाता है। उनके शासनकाल में मुगल साम्राज्य अपने अधिकतम भौगोलिक विस्तार
पर पहुंच गया था, लेकिन साथ ही राजनीतिक और सामाजिक
चुनौतियों भी कम नहीं थीं।
इस लेख में हम औरंगजेब के जीवन, शासन, नीतियों और योगदान को सरल और आसान हिंदी में समझेंगे, साथ ही MCQ QUIZ को हल करके अपने ज्ञान की जांच भी की जाएगी, MCQ के माध्यम से समझने और याद रखने में सहायता मिलती है।
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औरंगजेब का प्रारंभिक जीवन:
औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर 1618 को दाहोद (गुजरात) में हुआ। उनका पूरा नाम “मोहम्मद
आलम औरंगजेब अबुल मुजफ्फर” था। वे शाहजहाँ और मुमताज़ महल की पोती के वंशज नहीं
बल्कि उनके पुत्र थे। बचपन से ही वे अनुशासनप्रिय, धार्मिक और विद्वान रहे थे।
उन्होंने युद्ध-कला, प्रशासन और इस्लामी धर्मशास्त्र का
गहरा अध्ययन किया था। यही उनके बाद के कठोर और न्यायप्रिय शासन की नींव बनी।
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औरन्गेज़ेब का सिंहासन पर बैठना:
1658 में औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ
को सत्ता से हटा कर बंदी बना लिया और सत्ता संभाली। इसके लिए उन्होंने अपने भाइयों—दारा शिकोह, शुजा और मुहम्मद अकबर—को पराजित किया।
औरंगजेब का शासनकाल लगभग 49 वर्षों (1658–1707) तक चला था इसी लिए इसे मुगल साम्राज्य के विस्तार और अनुशासन का युग माना जाता है।
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औरंगजेब का शासन और प्रशासन:
औरंगजेब के प्रशासन की खास बातें इस प्रकार थीं:
1. अनुशासन और कठोरता:
औरंगजेब अत्यंत अनुशासित शासक थे, गलती
की कोई माफ़ी नहीं।
उन्होंने भ्रष्टाचार, अनियमितता और अत्यधिक विलासिता पर पूरी
तरह रोक लगाई थी।
2. विस्तारवादी नीति:
उनके शासनकाल में मुगल साम्राज्य सबसे
बड़े भौगोलिक विस्तार पर पहुंच गया था।
दक्षिण भारत में दक्कन और मराठा
राज्यों के खिलाफ कई युद्ध हुए थे।
साथ ही अफगानिस्तान, बलूचिस्तान और कंधार पर नियंत्रण मजबूत
किया गया।
3. कर और न्याय व्यवस्था:
औरंगजेब ने इस्लामी कानूनों के अनुसार
शासन किया था।
इन्ही के शासनकाल में जजिया कर
(हिंदुओं पर) पुनः लागू किया गया था।
न्याय व्यवस्था मजबूत और केंद्रित थी।
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औरंगजेब की धर्म और नीतियाँ:
औरंगजेब बहुत धर्मनिष्ठ थे। उन्होंने
इस्लामी कानून (शरीयत) का पालन करते हुए कई नीतियाँ लागू कीं थी:
जजिया कर की पुनः स्थापना
मंदिर निर्माण में रोक और कुछ मंदिरों
को ध्वस्त किया, साथ ही कई मस्जिदों को भी ध्वस्त किया था, ये सभी धार्मिक नहीं
राजनितिक कारणों में गिने जाते हैं|
इस्लामी धर्म के प्रचार पर जोर दिया था|
हालांकि, उनके धर्मनिष्ठ दृष्टिकोण ने साम्राज्य में धार्मिक तनाव भी बढ़ाया।
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कला और संस्कृति:
औरंगजेब शाहजहाँ और अकबर की तरह बिलकुल
भी कला-प्रेमी नहीं थे। उन्होंने भव्य महलों और किलों के निर्माण पर सीमित ध्यान
दिया था।
हालांकि, मुगल वास्तुकला में उनके समय में कुछ महत्वपूर्ण निर्माण हुए हैं जैसे की:
बादशाही मस्जिद, दिल्ली
बंगाल में नई मस्जिदें और किले
उन्हें पुस्तकें और धार्मिक साहित्य
पढ़ने का भी शौक था।
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चुनौतियाँ और विद्रोह:
औरंगजेब के शासनकाल में कई विद्रोह और
संघर्ष हुए थे:
मराठा विद्रोह: शिवाजी और उनके उत्तराधिकारियों ने
लगातार मुगलों का विरोध किया था।
दक्कन के राजपूत और स्थानीय शासक: उन्होंने लगातार युद्ध किए थे।
सिख विद्रोह: गुरु गोबिंद सिंह और उनके अनुयायियों
के खिलाफ संघर्ष हुआ था।
इन चुनौतियों के बावजूद औरंगजेब ने साम्राज्य को लगभग 50 वर्षों तक नियंत्रित रखने में सफलता प्राप्त कर ली थी।
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औरंगजेब की मृत्यु और विरासत:
औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 को
अहमदनगर में हुई थी।
उनके बाद मुगल साम्राज्य धीरे-धीरे
कमजोर पड़ने लगा, क्योंकि उनके बाद की पीढ़ियों ने शासन
और विस्तार बनाए रखने में सफलता नहीं पाई, और धीरे धीरे पूरा साम्राज्य बिखरने लगा।
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निष्कर्ष:
बादशाह औरंगजेब मुगल साम्राज्य के
अंतिम महान शासक माने जाते हैं। उनके शासनकाल में साम्राज्य अपने भौगोलिक विस्तार
और अनुशासन में चरम पर पहोंचा था।
हालांकि, कठोर धार्मिक नीतियों और लगातार युद्धों ने साम्राज्य को आंतरिक रूप से कमजोर किया। फिर भी औरंगजेब का नाम इतिहास में अनुशासन, विस्तारवाद और शक्ति के प्रतीक के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।
