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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12, राज्य की परिभाषा और उसका महत्व
✒️भूमिका:
भारतीय संविधान में नागरिकों को अनेक मौलिक अधिकार दिए गए हैं, जिनकी रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है। लेकिन यहाँ एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है की राज्य से क्या तात्पर्य है?
हमारे इसी प्रश्न का उत्तर भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 (Article 12) देता है। यह अनुच्छेद हमें बताता है कि मौलिक अधिकारों के संदर्भ में किन-किन संस्थाओं और प्राधिकरणों को ‘राज्य’ माना जाएगा।
✒️अनुच्छेद 12 क्या है?
अनुच्छेद 12, संविधान के भाग 3 (मौलिक अधिकार) में दिया गया है। यह अनुच्छेद सीधे तौर पर तो कोई अधिकार नहीं देता, बल्कि यह मौलिक अधिकारों को समझने और लागू करने की आधारशिला है।
✒️अनुच्छेद 12 के अनुसार ‘राज्य’ में शामिल हैं—
- 🔹भारत सरकार...
- 🔹राज्य सरकार...
- 🔹संसद...
- 🔹राज्य विधानमंडल...
- 🔹स्थानीय प्राधिकरण...
- 🔹भारत के क्षेत्र में या भारत सरकार के नियंत्रण में आने वाले अन्य सभी प्राधिकरण...
अनुच्छेद 12 में ‘राज्य’ की व्यापक परिभाषा:
अनुच्छेद 12 की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी परिभाषा व्यापक (Broad Interpretation) है, न कि संकीर्ण। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्था मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करके किसी भी हाल में बच न सके
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👉1. भारत सरकार और राज्य सरकार: केंद्र और राज्य—दोनों स्तर की सरकारें स्पष्ट रूप से ‘राज्य’ के अंतर्गत ही आती हैं। यदि कोई सरकारी विभाग नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तो उसके विरुद्ध न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, और करवाई की जा सकती है।
👉 2. संसद और राज्य विधानमंडल: कानून बनाने वाली संस्थाएँ भी ‘राज्य’ के अंतर्गत ही आती हैं। इसका अर्थ यह है कि संसद या राज्य विधानसभाएँ ऐसा कोई कानून नहीं बना सकतीं जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध जाता हो।
👉 3. स्थानीय प्राधिकरण: स्थानीय प्राधिकरणों में नगर निगम, नगर पालिका, पंचायत, जिला परिषद आदि शामिल होते हैं। ये संस्थाएँ जनता के दैनिक जीवन से सीधे जुड़ी हुई होती हैं, इसलिए इन्हें भी ‘राज्य’ माना गया है।
👉 अन्य प्राधिकरण (Other Authorities) की अवधारणा: अनुच्छेद 12 का सबसे महत्वपूर्ण और व्याख्यात्मक भाग है— ‘अन्य प्राधिकरण’। संविधान में इसकी स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, इसलिए इसकी व्याख्या का कार्य न्यायपालिका, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय, ने किया है।
भारतीय संविधान संशोधन प्रक्रिया की जानकारी के लिए इस लेख को ज़रूर पढ़िए 👉 Indian constitution Amendment process
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👉 न्यायालय द्वारा विकसित सिद्धांत:
सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर यह स्पष्ट किया है कि कोई संस्था तब ‘राज्य’ मानी जाएगी जब—
- 🔹वह कानून द्वारा स्थापित होगी।
- 🔹उस पर सरकार का गहरा नियंत्रण होगा
- 🔹वह सार्वजनिक कार्य करती हो, और
- 🔹वह सरकारी वित्तीय सहायता पर निर्भर हो
उदाहरण:
- 📍चुनाव आयोग
- 📍भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC)
- 📍सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs)
- 📍विश्वविद्यालय और वैधानिक निकाय
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✒️निजी संस्थाएँ और अनुच्छेद 12:
सामान्यतः निजी व्यक्ति या निजी संस्थाएँ अनुच्छेद 12 के अंतर्गत नहीं आतीं हैं।
लेकिन यदि कोई निजी संस्था—
👉पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में हो
👉सार्वजनिक कार्य कर रही हो
👉राज्य की तरह व्यवहार कर रही हो
तो उसे भी ‘राज्य’ माना जा सकता है। यह सिद्धांत नागरिकों के अधिकारों की रक्षा को और भी मजबूत बना देता है।
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✒️अनुच्छेद 12 और मौलिक अधिकार:
अनुच्छेद 12 का सीधा संबंध मौलिक अधिकारों (Articles 14 और 32)से है।
यदि कोई संस्था ‘राज्य’ की परिभाषा में आती है और वह
🔹समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है
🔹जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को प्रभावित करती है
🔹अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करती है
तो उसके विरुद्ध अनुच्छेद 32 या फिर अनुच्छेद 226 के तहत न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है, और संभावित कार्रवाई की जा सकती है।
अनुच्छेद 12 का संवैधानिक महत्व:
अनुच्छेद 12 का महत्व केवल परिभाषात्मक नहीं है, बल्कि यह—
🔸यह राज्य की मनमानी पर रोक लगाता है
🔸यह नागरिकों को कानूनी सुरक्षा देता है
🔸यह मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाता है
🔸यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करता है
यदि अनुच्छेद 12 न होता, तो कई सरकारी संस्थाएँ मौलिक अधिकारों की जिम्मेदारी से बच सकती थीं और अपनी मनमानी कर सकती थीं।
भारतीय संविधान संशोधन प्रक्रिया की जानकारी के लिए इस लेख को ज़रूर पढ़िए 👉 Indian constitution Amendment process
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✒️परीक्षाओं की दृष्टि से अनुच्छेद 12:
UPSC, State PCS, Judiciary, और विश्वविद्यालय परीक्षाओं में अनुच्छेद 12 से सीधे प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे कि—
👉State’ की परिभाषा क्या है
👉Other Authorities की व्याख्या कीजिए
👉निजी संस्थाओं की स्थिति बताइए
👉Article 12 और Article 32 का संबंध
इसलिए यह विषय भारतीय राजनीति (Indian Polity) का एक अत्यंत महत्वपूर्ण टॉपिक है।
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✒️निष्कर्ष:
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 मौलिक अधिकारों की आत्मा है। यह तय करता है कि कौन ‘राज्य’ है और कौन नहीं है, ताकि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस अनुच्छेद की व्यापक व्याख्या ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया है और यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी सत्ता—प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष—नागरिकों के मौलिक अधिकारों का कभी भी उल्लंघन न कर सके।
भारतीय संविधान संशोधन प्रक्रिया की जानकारी के लिए इस लेख को ज़रूर पढ़िए 👉 Indian constitution Amendment process
