Émile Durkheim की पुस्तक “The Suicide” – एक विस्तृत विश्लेषण
परिचय: Émile Durkheim, एक ऐसा नाम जो समाजशास्त्र के आधार स्तंभ माने जाते हैं। उनकी मुख्य पुस्तक जो की 1897 में प्रकाशित हुई जिसका नाम “The
Suicide” हैं, समाजशास्त्र की सबसे क्रांतिकारी और वैज्ञानिक
कृतियों में से एक मानी जाती है। इस पुस्तक में Durkheim ने आत्महत्या (Suicide) को पहली बार सामाजिक घटना (Social Fact) के रूप में व्याख्यायित किया और दुनिया
को बताया कि आत्महत्या सिर्फ व्यक्तिगत मानसिक स्थिति का परिणाम नहीं होती, बल्कि उसके पीछे गहरे सामाजिक कारण भी मौजूद
होते हैं। यह पुस्तक समाजशास्त्रीय अनुसंधान (Sociological Research) का एक मील का पत्थर साबित हुई है।
1. Durkheim की पुस्तक “The Suicide” का परिचय
यह पुस्तक 1897 में प्रकाशित हुई थी।
इस पुस्तक के माध्यम से वह दुनिया को यह समझाना
चाहते थे की आत्महत्या किसी अकेले इन्सान के दिमाग की उपज और उसी अकेले के द्वारा
लिया गया फैसला नहीं है, बल्कि इसके पीछे पूरा समाज कार्य करता हैं|
इस बात को दुर्खिम ने अपनी मुस्ताक के माध्यम से
साबित भी कर दिखाया है|
इस कार्य को करने के लिए उन्होंने विभिन्न देशों के आंकड़े इकट्ठा करके आत्महत्या के पैटर्न
और कारणों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया है।
यह पुस्तक आज भी समाजशास्त्र में पॉज़िटिविस्ट (Positivist) शोध पद्धति का बेहतरीन उदाहरण मानी जाती है।
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2. Durkheim आत्महत्या को “Social Fact” क्यों कहते हैं?
Durkheim ने कहा कि किसी वेयक्ति की आत्महत्या
के कारणों को जानने के लिए हमें व्यक्ति के मन के भीतर नहीं झांकना चाहिए, बल्कि समाज की संरचना, सामाजिक संबंधों, धार्मिकता, विवाह, आर्थिक स्थिरता जैसे सामाजिक तत्वों को देखना चाहिए, जिससे यह पता चल
सके की वह वेयक्ति जिसने आत्महत्या की है या जो करने की परिस्तिथि में है, उसपर
बहरी दबाव कितना और किस प्रकार से पड़ रहा है।
कोई भी इन्सान ऐसे ही अपना जीवन समाप्त नहीं कर लेता, उसके पीछे कुछ न कुछ बड़ा या छोटा कारण ज़रूर होता है, जब तक हम उन कारणों का पता नहीं लगा सकते तब तक हम आत्महत्या की दरों पर रोक नहीं लगा सकते, और न ही हम यह कह सकते हैं की आत्महत्या करने वाले ने सच में सही किया या गलत, क्यूँ की हमारे पास उसके द्वारा उठाए गए इस कदम के पीछे का सही कारण मौजूद ही नहीं है|
ऐसा क्योंकि करना चाहिए:
आत्महत्या दर (Suicide Rate) किसी समाज में स्थिर रहती है।
माजिक परिवर्तन होने पर आत्महत्या दर
में भी बदलाव आता रहता है।
अलग-अलग धर्मों, समुदायों और वर्गों में आत्महत्या दर अलग अलग देखि जाती है।
इससे Durkheim ने निष्कर्ष निकाला कि आत्महत्या
व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक पैटर्न है।
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3. Durkheim के अनुसार आत्महत्या के
चार प्रकार
Durkheim ने आत्महत्या को चार मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया है:
(1) Egoistic Suicide (अहंवादी
आत्महत्या)
यह तब होती है जब व्यक्ति समाज से
जुड़ाव महसूस करना छोड़ देता है, उसे ऐसा लगने लगता है की वह समाज से अलग है, या
बाकि लोगों को उसकी फ़िक्र नहीं है।
इसी कारण उसके सामाजिक संबंध कमजोर हो
जाते हैं, वो सबसे दूरी बना कर चुप-चाप रहने लगता हैं।
धीरे-धीरे परिवार, धर्म और समुदाय से दूरी बढ़ जाती है, वह अपने ही सवालों की दुनिया
में खो जाता है।
उदाहरण:
1. अविवाहित लोगों में आत्महत्या दर का अधिक होना: जब किसी लड़का या लड़की की शादी सही समय पर ना हो, तब उसे ऐसा अहसास होने लगता है की उसका जीवन अधुरा है, कोई भी उसके साथ जीवन जीना नहीं चाहता या चाहती, इसी के साथ आस पड़ोस के लोगों के साथ दोस्त और परिवार वालों की तरफ से कभी कभी कुछ ऐसा शब्द सुनने को मिलते हैं जो इंसान को अन्दर से तोड़ देते हैं|
2. धार्मिक रूप से कम जुड़े लोगों में
अधिक आत्महत्या: कोई वेयक्ति किसी समस्सया के कारण परेशां रहने लगे, उसे सही
रास्ता दिखाई देना बंद हो जाये और साथ ही वो धार्मिक कार्यों से भी दूर रहने लगे
तब उसकी आत्महत्या करने की प्रतिशत डर बढ़ जाती है, क्यूंकि जब कोई वेयक्ति धार्मिक
कामो में वेयस्त रहता है तब उसे किसी चमत्कार की या इश्वर द्वारा प्राप्त होने
वाली शक्तियों की उम्मीद होती है ऐसे में वो कोई आत्महत्या करने जैसे विचारों से
दूर रहता है| हर और दिन किसी नई शुरुआत के इंतज़ार में रहता है|
3. कारण: कम सामाजिक एकीकरण (Low Social Integration): यह तब होता है जब किसी वेयक्ति को सम्माज के दुसरे लोगों द्वारा अकेला या उनसे कमज़ोर देखा जाता हैं, उधाहरण के लिए देखे तो एक लड़का है जो पढाई में कमज़ोर है, रूप रंग भी अच नहीं है, ऐसे में समाज के अन्य लोग उसे उसके रूप रंग और कम पढाई करने के कारण कुछ ऐसी बातें करते हैं जिसे वह झेल नहीं पाता, वह चाहे तो थोड़ी मेहनत करके अपनी पढाई को सुधार सकता हैं लेकिन रूप रंग को बदल नहीं सकता, ऐसी परिस्तिथि में वो अपना जीवन समाप्त करना ही ठीक समझ लगता है जो की हर हाल में गलत फैसला है|
(2)
Altruistic Suicide (परोपकारी आत्महत्या)
जब व्यक्ति सामाजिक समुदाय या समूह से
इतना अधिक जुड़ा हो कि वह समूह के लिए अपनी जान दे दे।
उदाहरण:
1. सीमा पर तैनात जवान वो अपने देश और
देशवासियों से इस कदर जुदा होता है की उनके लिए वो अपनी जा दे देता है| अन्य
साथियों की रक्षा के लिए खुद दुश्मनों के सामने कूद कर ध्यान भटका कर अपने साथियों
को बचने का मुदा देता है|
2. सामाजिक आन्दोलन में अपने समुदाय के अधिकारों की
बात रखने वाला वेयक्ति सबसे आगे बढ़ कर चलता है, ऐसे में प्रशासन द्वारा बरसाई गई
लाठियों और गोलियों का शिकार हो जाता है|
3. कोई आतंकवादी मानसिकता का वेयक्ति अपने धर्म की रक्षा के नाम पर शारीर में बम लगा कर अन्य लोगों के साथ खुद को भी मार देता है|
व्यक्ति की अपनी पहचान समूह में
घुल-मिल जाती है।
कारण: अत्यधिक सामाजिक एकीकरण (High Social Integration) होता है|
(3)
Anomic Suicide (अनैतिक/अविनियमित आत्महत्या)
यह तब होती है जब समाज में अचानक
अस्थिरता आ जाती है।
जैसे की आर्थिक मंदी, आर्थिक उछाल, सामाजिक परिवर्तन, नौकरी का खो जाना इत्यादि कारण होते
हैं।
इसका मुख्य कारण: सामाजिक नियमों का टूटना (Low Social Regulation) होता है
उदाहरण:
1. आर्थिक संकट के समय आत्महत्याओं में
वृद्धि: ऐसा तब होता है जब अचानक से बाज़ार में मंदी छा जाती है, कारोबार में बड़ा
नुकसान हो जाता है, तब कारोबारी अपने परिवार के पालन पोषण की चिंता में उलझ जाता
है, in सब से बाहेर निकलने का सही रास्ता न मिलने पर भी लोग अपना जीवन समाप्त कर
लेते हैं|
2. अचानक गरीबी या अचानक अत्यधिक धन दोनो में आत्महत्या दर बढ़ना: किसी की नौकरी चली जाए तब भी वो आत्महत्या कर सकता है और किसी को बहोत ज्यादा धन प्राप्त हो जाए तब भी वो आत्महत्या कर सकता है, नौकरी चली जाने पर की गई आत्महत्या को तो हर कोई आसानी से समझ सकता है लेकिन धन प्राप्ति पर की गई आत्महत्या को समझना थोडा जटिल जो जाता है, असल में ऐसा तब होता है जब समाज के बुरे लोग उससे फिरौती मांगने लगे, उसका धन दौलत उसके और उसके परिवार के अन्य लोगों की जान का दुश्मन बन जाए तब वेयक्ति खुद के जीवन को समाप्त कर लेटा है|
(4)
Fatalistic Suicide (भाग्यवादात्मक आत्महत्या)
जब समाज व्यक्ति पर अत्यधिक नियंत्रण
कर देता है, वेयक्ति का खुद के शारीर, मन और जीवन पर कोई अधिकार नहीं रहता।
व्यक्ति को भविष्य अंधकारमय लगता है और
आज़ादी शून्य हो जाती है।
इसे अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण (High Social Regulation) का कारण माना जाता है|
उदाहरण:
1. जेल में कैदियों की आत्महत्या: जेलों
के अन्दर कैदी पूरी तरह से टूट जाता है, उसे अपनी आज़ादी नज़र नहीं आती, अन्य
कैदियों और जेल के कर्मचारियों द्वारा परेशान किया जाता है, ऐसे में एक आम कैदी
अपना जीवन समाप्त कर लेना ही ठीक समझता है|
2. अत्यधिक दबाव और नियंत्रण वाले हालात: किसानो पर लोन का बोझ होता है, ख़राब मौसम के कारण फसल बर्बाद हो जाती है, ज़मींदार की तरफ से बकाया राशि, अनाज की मांग, बैंक द्वारा बकाया राशि की मांग, परिवार के पालन पोषण का बोझ एक कमज़ोर वेयक्ति हो जीवन समाप्त करने पर मजबूर कर देता हैं|
- अगर आप दुर्खिम के जीवन, विचार और शोधों पर और अध्यन करना चाहते हैं तो हमारी इस लेख को भी ज़रूर पढ़िए Emile Durkheim
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4. Durkheim द्वारा उपयोग किए गए शोध
विधि (Research
Method)
Durkheim ने अपने आत्महत्या पर अध्ययन में निम्न
रिसर्च मेथड का उपयोग किया था:
1. तुलनात्मक पद्धति (Comparative Method):
इस में उन्होंने कई देशों की आत्महत्या
दर की तुलना की थी।
2. सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
दुर्खिम ने विवाह, परिवार, धर्म, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और जनसंख्या से जुड़े आँकड़ों का बारीकी से विश्लेषण किया है।
3. सामाजिक कारक पहचानना (Identifying Social Variables):
उन्होंने यह देखा कि कौन-से सामाजिक समूहों में आत्महत्या अधिक है और क्यों है, उसके कारणों को समझने के लिए बहोत ही सटीक जानकारियां इकठ्ठा की।
4. धार्मिक तुलना (Religious Comparison)
उन्होंने पाया कि इसाई धर्म के दो
समुदायों- Protestants में आत्महत्या दर Catholics से ज्यादा है — और इसके सामाजिक कारण हैं।
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5. Durkheim के अध्ययन से निकले
प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
1. आत्महत्या के सामाजिक कारण व्यक्तिगत
कारणों से अधिक प्रभावी हैं, आत्महत्या करने में खुद वेयक्ति के विचार कम और समाज
का दबाव ज्यादा होता है।
2. सामाजिक एकीकरण और सामाजिक नियंत्रण
आत्महत्या दर को गहराई से प्रभावित करते हैं, इसी लिए हर वेयक्ति को समाज में एक
जैसा अधिकार मिलना बहोत ज़रूरी है।
3. आर्थिक स्थिति बदलने पर आत्महत्या दर
बदलती है — चाहे समृद्धि बढ़े या घटे, इसके बारे
पहले ही ऊपर विस्तार से बताया गया है।
4. परिवार और विवाह जैसे सामाजिक संस्थान
आत्महत्या दर कम करते हैं, सही समय पर विवाह हो जाना, परिवार में सभी का मिल जुल
कर रहना आत्महत्या को कम करता है।
5. धर्म (Religion) समाजीकरण और अनुशासन के कारण आत्महत्या रोकता है, धर्म इंसान को
उम्मीद देता है, हार मान चुके वेयक्ति को एक अच्छे कल की आशा होती है।
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6. “The Suicide” पुस्तक का समाजशास्त्र में
महत्व
Durkheim की यह पुस्तक कई कारणों से महत्वपूर्ण
मानी जाती है:
इस पुस्तक ने समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक
अनुशासन का दर्जा दिया है।
इस के मध्य से पहली बार आत्महत्या जैसे
मनोवैज्ञानिक विषय को समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से समझाया गया है।
इस पुस्तक ने सामाजिक तथ्यों (Social Facts) की अवधारणा को मजबूत किया है।
समाजशास्त्रीय रिसर्च में डेटा, सांख्यिकीय विश्लेषण और तुलनात्मक
पद्धति का महत्व बढ़ाया गया है।
इसी लिए यह पुस्तक आज भी समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, अपराध विज्ञान और सार्वजनिक नीति के
लिए आधार स्तंभ मानी जाती है।
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7. पुस्तक “The Suicide” की आलोचनाएँ (Criticisms)
कई विद्वानों ने कहा कि Durkheim ने आँकड़ों पर बहुत अधिक भरोसा किया है।
कुछ ने कहा कि उन्होंने मनोवैज्ञानिक
कारणों को महत्व नहीं दिया बल्कि सामाजिक कारणों पर ज्यादा ध्यान दिया है।
आधुनिक शोध बताता है कि आत्महत्या के
कारण अधिक जटिल हैं — सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और जैविक तीनों मिलकर काम करते हैं, लेकिन दुर्खिम के
शोध में मुख्य सामाजिक कारण ही है।
इन सब के बाद भी, उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
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8. निष्कर्ष (Conclusion)
Durkheim की “The Suicide” पुस्तक समाजशास्त्र
की एक ऐतिहासिक और वैज्ञानिक पुस्तक है जिसने दुनिया को यह समझाया कि आत्महत्या
सिर्फ व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि
सामाजिक संरचना, सामाजिक संबंध और सामाजिक परिवर्तनों
से गहराई से जुड़ी हुई होती है। यह पुस्तक आज भी रिसर्च, नीति-निर्माण और समाजशास्त्रीय अध्ययन
का एक अनिवार्य हिस्सा बनी हुई है।
- अगर आप दुर्खिम के जीवन, विचार और शोधों पर और अध्यन करना चाहते हैं तो हमारी इस लेख को भी ज़रूर पढ़िए Emile Durkheim
