The Indian system of government Notes in Hindi

Indian Polity Notes, The Indian system of government Notes in Hindi

संघ व राज्य सरकार की संरचना भारत की शासन प्रणाली का सबसे सरल और विस्तृत विश्लेषण


🟢 परिचय: पूरी दुनिया में भारत एक विशाल और विविधताओं वाला देश है। भारत में भाषा, संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली हर कुछ किलोमीटर पर बदल जाती है। इतने बड़े देश को एक ही केंद्र से व्यवस्थित ढंग से चलाना कोई आसान काम नहीं है। इसलिए पहले ही भारतीय संविधान निर्माताओं ने भारत को संघीय ढांचा (Federal Structure) तैयार करके दे दिया है, जिसमें दो मुख्य स्तरों (संघ सरकार) और (राज्य सरकार)  के बीच शक्तियों का बंटवारा किया गया है।

♻️ यह संरचना देश को एकता भी देती है और राज्यों को अपनी परिस्थितियों के अनुसार प्रशासन चलाने का पूरा अधिकार भी देती है।

हमारी इस आर्टिकल से आप समझेंगे संघ और राज्य सरकार की संरचना, उसके अंग, शक्तियाँ, कार्य, अधिकार, संबंध और महत्व को सरल भाषा में समझेंगे। यह लेख UPSC, SSC, रेलवे, बैंक, स्टेट PCS या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए बेहद उपयोगी है।
इस लेख को हमें कुल 9 भागों में बांटा है, हर एक भाग आप के लिए बहोत ही उपयोगी है|
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🟢 भाग 1: भारत में संघीय शासन व्यवस्था क्या है?

भारत में संघीय शासन का मतलब है:-
केंद्र (Union) + राज्य (States) + स्थानीय शासन (Panchayat/Nagar Palika) यह सभी मिलकर देश को चलाते हैं।

संघीय संरचना का उद्देश्य है:
👉हर हाल में देश की अखंडता बनाए रखना
👉राज्यों को पर्याप्त अधिकार देना है
👉विकास और प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाना है
👉जनता के नजदीक शासन व्यवस्था लाना

मुख्य बात यह है की भारत “सख्त संघीय” नहीं बल्कि अर्ध-संघीय (Quasi-Federal) देश है। ऐसा इस लिए है क्योंकि ज़रूरत पड़ने पर केंद्र सरकार राज्यों पर अधिक प्रभाव डाल सकती है, जैसे की आदेश, कानून, पैसा, सुरक्षा इत्यादि।
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🟢 भाग 2: संघ सरकार की संरचना क्या है ?

अगर हम बात करें संघ की तो संघ सरकार पूरी तरह से राष्ट्रीय स्तर पर काम करती है। इसका काम पूरे देश के लिए कानून बनाना होता है, सुरक्षा संभालना, विदेश नीति बनाना, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना आदि इसके मुख्य कार्यों में शामिल हैं।

संघ सरकार के मुख्य अंग इस प्रकार हैं:
1. राष्ट्रपति...
2. उपराष्ट्रपति...
3. प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद...
4. संसद (लोकसभा + राज्यसभा)...
5. केंद्रीय प्रशासनिक तंत्र...
6. न्यायपालिका (सुप्रीम कोर्ट)...

♻️ आइए अभ हम एक एक करके इन सभी को विस्तार से समझते हैं।

♻️ 1. राष्ट्रपति (President of India):
राष्ट्रपति जो की भारत के समारोहिक प्रमुख (Ceremonial Head)  हैं, और संविधान के अनुसार उनके पास बहुत सारे अधिकार होते हैं।

🔹 राष्ट्रपति के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
👉 प्रधानमंत्री की नियुक्ति करना
👉 मंत्रिपरिषद की नियुक्ति करना
👉 संसद का सत्र बुलाना और समाप्त करना
👉 बिलों पर हस्ताक्षर करना होता है
👉 अध्यादेश जारी करना होता है
👉 सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति करना
👉 राज्यपालों की नियुक्ति करना
👉 सेना के सर्वोच्च कमांडर

🔹वास्तविक शक्ति तो प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती है, लेकिन राष्ट्रपति उनके सुझावों पर ही कार्य करते हैं।

 ♻️ 2. उपराष्ट्रपति (Vice President)
उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन (Ex-officio) सभापति होते हैं, ये राष्ट्रपति के अधीन कार्य करते हैं।

🔹 उपराष्ट्रपति (Vice President) के कार्य इस प्रकार है:
👉 राज्यसभा की कार्यवाही संचालित करना
👉 राष्ट्रपति अनुपस्थिति/असक्षम होने पर कार्यकारी राष्ट्रपति बनना

♻️ 3. प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद
👉 प्रधानमंत्री भारत के वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होते हैं।
👉 प्रधानमंत्री केंद्र सरकार के सबसे शक्तिशाली पद पर होते हैं।
👉 प्रधानमंत्री देश की नीतियाँ बनाते हैं, योजनाएँ लागू करवाते हैं और पूरा प्रशासन चलाते हैं।

♦️ 4. मंत्रिपरिषद में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं:
1. कैबिनेट मंत्री
2. राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
3. राज्यमंत्री
4. संसद (Parliament)

♦️भारत देश की संसद दो सदनों वाली है:
लोकसभा (Lower House) और
राज्यसभा (Upper House)
साथ ही राष्ट्रपति भी संसद का हिस्सा माने जाते हैं।

♦️लोकसभा में होने वाले मुख्य कार्य:
👉 यह जनता द्वारा चुनी जाने वाली सभा होती है
👉 सरकार बनना और गिरना लोकसभा में ही तय होता है
👉 बजट और धन संबंधी बिल लोकसभा पास कर        
      सकती है

♦️राज्यसभा के कार्य इस प्रकार है:
यह राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है
इसकी स्थायी सदन—कभी भंग नहीं होती
कानून बनाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका होती है
भारत के यह दोनों सदन मिलकर पूरे देश के लिए कानून बनाते हैं।

♻️ 5. केंद्रीय प्रशासनिक तंत्र
👉 इस तंत्र में IAS, IPS, IRS जैसे अफसर होते हैं जो नीतियों को ज़मीनी स्टार पर लागू करते हैं।

 ♻️ 6. सुप्रीम कोर्ट
♦️ सुप्रीम कोर्ट भारत की सर्वोच्च अदालत है सभी निचली अदालतों जैसे की स्थानीय अदालत, सिविल कोर्ट, हाई कोर्ट इत्यादि में अगर इन्साफ न मिले तो लोग सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हैं, in सब के इलावा देश के बड़े बड़े मुद्दों की सुनवाई यहीं पर होती है।
🔹यह केंद्र व राज्य सरकारों के विवाद भी हल करती है।

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🟢 भाग 3: राज्य सरकार की संरचना
♦️ देश की सभी राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों का प्रशासन संभालती है जैसे की स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस, कृषि, भूमि, जल, बिजली आदि।

 🔹राज्य सरकार के मुख्य अंग इस प्रकार हैं:
1. राज्यपाल
2. मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद
3. राज्य विधानमंडल (विधानसभा और विधान परिषद)
4. राज्य प्रशासन
5. राज्य उच्च न्यायालय
🔸अब आइए in सबको एक एक करके विस्तार से समझते हैं।

 ♻️ 1. राज्यपाल (Governor)
➡️ राज्यपाल अपने अपने राज्यों में राष्ट्रपति का प्रतिनिधि होता है।
➡️ राज्यपाल के कार्य इस प्रकार होते हैं:
➡️ मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना
➡️ मंत्रिपरिषद की नियुक्ति करना
➡️ राज्य विधानमंडल के सत्र बुलाना
➡️ बिल आरक्षित करना होता है
➡️ प्रशासनिक आदेश जारी करना होता है
♦️लेकिन फिर भी वास्तविक शक्ति मुख्यमंत्री के पास ही होती है।

♦️2. मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद
🔹यह राज्य सरकार का वास्तविक कार्यकारी अंग होता है।
🔹एक मुख्यमंत्री ही अपने राज्य का सबसे शक्तिशाली नेता होता है।
🔹वे नीतियाँ बनाते हैं और प्रशासन को चलाते हैं।

 ♻️ 3. राज्य विधानमंडल
राज्यों में दो प्रकार की व्यवस्था हो सकती है:
👉 एकसदनीय (Unicameral)
केवल विधानसभा (अधिकांश राज्यों में)

👉द्विसदनीय (Bicameral)
🔸विधान परिषद जिसे (ऊपरी सदन) भी कहा जाता है
🔸विधानसभा जिसे (निचला सदन) भी कहा जाता है
♦️इन दोनों में विधानसभा अधिक शक्तिशाली होती है।

 ♻️ 4. राज्य प्रशासन
🔹राज्य प्रशासन में DM, SP, SDM, तहसीलदार आदि अधिकारी शामिल होते हैं।

 ♻️ 5. राज्य उच्च न्यायालय
यह राज्य की सर्वोच्च अदालत है इसका मुख्य काम जनता के मौलिक अधिकारों की करना होता है
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🟢 भाग 4: संघ और राज्य सरकार के बीच शक्तियों का बंटवारा कैसे होता है?
भारतीय संविधान ने शक्तियों को 3 सूचियों में बांटा है:
👉1. संघ सूची (Union List)  97 विषय
उदाहरण के लिए कुछ इस प्रकार है:
रक्षा, विदेशी मामले, रेलवे, मुद्रा, राष्ट्रीय सुरक्षा।

👉2. राज्य सूची (State List) 66 विषय
उदाहरण के लिए कुछ इस प्रकार है:
पुलिस, कानून-व्यवस्था, कृषि, स्वास्थ्य, भूमि।

👉3. समवर्ती सूची (Concurrent List) 47 विषय
उदाहरण के लिए कुछ इस प्रकार है:
शिक्षा, जंगल, विवाह, आपराधिक कानून।
🔸इस सूची में केंद्र और राज्य दोनों ही मिल कर या अपने स्तर पर कानून बना सकते हैं।
♦️ लेकिन टकराव की स्थिति में केंद्र सरकार का कानून मान्य होगा, राज्य का नहीं।
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🟢 भाग 5: केंद्र और राज्यों के बीच संबंध कैसे होते है अब नज़र इस पर डालते हैं|
1. विधायी संबंध: यह कानून बनाने से जुड़े संबंध होते हैं।
2. प्रशासनिक संबंध: यह केंद्र राज्यों को दिशा निर्देश जारी कर सकता है।
3. वित्तीय संबंध: केंद्र टैक्सों को बाँटता है जैसे की... GST, आयकर, एक्साइज ड्यूटी, वित्त आयोग की सिफारिशें, इत्यादि
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🟢 भाग 6: भारत में संघीय ढांचे की विशेषताएँ किस प्रकार हैं?
🔹मजबूत केंद्र होता है
🔹राज्य अपने नागरिकों के अनुसार अपनी सरकार   
     चला सकते हैं
🔹आपातकाल में केंद्र को अधिक अधिकार होता है
🔹स्वतंत्र न्यायपालिका होती है
🔹संविधान सर्वोच्च माना जाता है
🔹दोहरी नागरिकता नहीं होती
🔹एक ही संविधान पूरे देश में लागू होता है, उसी के     
     अनुसार पुरे देश को चलना है
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🟢 भाग 7: संघ और राज्य सरकार का महत्व क्या है?
♻️ संघ सरकार का क्या महत्व है ?
👉सबसे पहले देश की एकता बनाए रखना
👉देश की सीमाओं की सुरक्षा करना
👉राष्ट्रीय नीतियाँ बनाना
👉आर्थिक योजना बनाना और लागू करना जैसे की...  
     GST व्यवस्था इत्यादि

♻️ राज्य सरकार का क्या महत्व है ?
🔹जनता के सबसे करीब शासन होता है
👉स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी जैसी रोज़मर्रा की  
     सहुलतों को अपने नागरिको तक पहोंचाना
👉क्षेत्रीय विकास, जैसे की... सड़क, पुल, डैम, इत्यादि 
     का निर्माण करना
👉स्थानीय छोटे या बड़े मुद्दों का समाधान करना
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🟢 भाग 8: संघ और राज्य सरकार के बीच चुनौतियाँ क्या होती हैं?
🔸राजनीतिक मतभेद: भारत में हमेशा से इस प्रकार की 
     चुनौतियाँ रही हैं,
🔹वित्तीय असमानता: राज्य के के लिए सही समय पर 
     केंद्र से राशि न मिलना
🔸केंद्र का हस्तक्षेप: किसी राज्य के स्थानीय मामलो में 
     केंद्र का हस्तक्षेप होता रहता है
🔹संसाधनों पर विवाद: जैसे की नदी जल विवाद इत्यादि
🔸राज्यपाल की भूमिका पर भी विवाद होता है या हो 
     सकता है
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🟢 भाग 9: समाधान व सुधार सुझाव क्या हो सकते है?
✓सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) 
   को मजबूत करना होगा
✓राज्यों को पर्याप्त वित्तीय अधिकार देना होगा ताकि 
   वह अपने स्तर पर विकास कर सके
✓विवाद समाधान के लिए स्थायी तंत्र का उपयोग करना 
    चाहिए
✓राज्यों की भागीदारी बढ़ाना चाहिए
✓नीति आयोग की भूमिका भी बढ़ाना चाहिए
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🟢 निष्कर्ष:
जैसा ही अब तक आप समझ चुके होंगे की भारत का संघीय ढांचा दुनिया के सबसे संतुलित व्यवस्थाओं में से एक माना जाता है।
यह व्यवस्था केंद्र और राज्यों दोनों को अपने-अपने अधिकार देती है, जिससे देश एक भी रहता है और विविध भी रहता है।
जहाँ संघ सरकार राष्ट्रीय स्तर पर बड़े फैसले लेती है, वहीं राज्य सरकारें जमीनी स्तर पर विकास के लिए काम करती हैं। भारत की एकता और शक्ति, संघ और राज्य सरकार की संयुक्त कार्यप्रणाली में ही छिपी है। अगर इसे ठीक से संचालित किया जाए तो देश बहोत तरक्की करेगा अन्यथा हज़ारों चुनौतियाँ सामने आती रहेंगी|
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