अकबर बादशाह पर 20 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी | Akbar Badshah 20 Important MCQ in Hindi

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अकबर

महान मुगल बादशाह जीवन, प्रशासन, नीतियाँ और योगदान

 

अकबर बादशाह भारतीय इतिहास के सबसे महान मुगल बादशाहों में से एक माने जाते हैं। वे न सिर्फ एक सफल शासक रहे, बल्कि एक दूरदर्शी, उदार और सबको साथ लेकर चलने वाले प्रशासक भी थे। यही वजह है की अकबर का शासन भारत के स्वर्णिम कालों में गिना जाता है।

इस लेख में हम अकबर के जीवन, शासन, नीतियों और योगदान को सरल और स्पष्ट भाषा में जानेंगे, लेख पढने के बाद हमारे द्वारा बनाई गई अकबर पर 20 प्रश्नों की MCQ को हल कर अपने ज्ञान की जांच कर सकते हैं, ऐसा करने से आप के ज्ञान में बढ़ोत्तरी होगी और सामान्य ज्ञान मज़बूत होगा

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अकबर का प्रारंभिक जीवन:

अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को अमरकोट (सिंध) में हुआ था। जब बादशाह अकबर जा जनम हुआ उनके पिता हुमायूँ युद्ध और संघर्षों के कारण भटक रहे थे। अकबर बचपन से ही साहसी, तेज-तर्रार और युद्ध-कला में निपुण थे, हालांकि वे पढ़ नहीं सके, लेकिन ज्ञान और समझदारी में बहुत आगे थे।

1556 में हुमायूँ की मृत्यु के बाद केवल 13 वर्ष की उम्र में अकबर मुगल साम्राज्य के बादशाह बन गए। शुरूआती वर्षों में शासन उनके संरक्षक बैरम खान ने संभाला था।

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शासन की शुरुआत और विस्तार:

अकबर का शासनकाल 1556 से 1605 तक लगभग 49 वर्षों तक चला है। यह मुगल इतिहास का सबसे स्थिर और समृद्ध समय माना जाता है। 

बैरम खान की देखरेख में अकबर ने पानीपत की दूसरी लड़ाई में हेमू को हराया था और दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया था। धीरे-धीरे उन्होंने पूरे उत्तरी भारत, गुजरात, राजपूताने, बंगाल, कश्मीर, मालवा, सिंध, ओड़िशा और दक्कन के कई हिस्सों को मुगल साम्राज्य में मिला लिया था।

अकबर की सबसे बड़ी उपलब्धि थी कि उन्होंने युद्ध से ज्यादा कूटनीति पर जोर दिया था। विशेष रूप से राजपूतों के साथ वैवाहिक और मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित करके उन्होंने अपने साम्राज्य को मजबूत किया था।

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अकबर का प्रशासनिक ढाँचा कैसा था?

अकबर महान इसलिए भी कहलाते हैं क्योंकि उन्होंने प्रशासन को संगठित, सरल और जनता के हित में बनाया था, अकबर हर निति को जनता की सहलात अनुसार ही पारित करते थे।

1. मनसबदारी प्रणाली

मनसबदारों को सेना और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी दी जाती थी, इससे साम्राज्य को अधिक लाभ हुआ और मंसब दारों को भी।

हर मनसबदार को उसके रैंक के अनुसार घुड़सवार और सैनिक रखने होते थे।

यह प्रणाली मुगल प्रशासन की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है।

2. सूबेदारी व्यवस्था

अकबर ने अपने साम्राज्य को 1516 सूबों में बाँटा था और प्रत्येक सूबे में एक सूबेदार, दीवान, काजी, फौजदार आदि नियुक्त किए थे। 

3. राजस्व प्रणाली

अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने जाब्ती प्रणाली (Todarmal Bandobast) लागू किया था।

इसके अंतर्गत किसानों की जमीन का सर्वे कराया गया।

औसत उपज के आधार पर कर निर्धारित किया गया था, जिससे किसानो को रहत मिली थी।

इससे राजस्व व्यवस्था पारदर्शी और सरल बनी थी।

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धर्म नीति और दीन-ए-इलाही क्या है?

अकबर धार्मिक सहिष्णुता में विश्वास रखते थे। उन्होंने जजिया कर पूरी तरह से खत्म किया और सभी धर्मों को समान सम्मान दिया। 

फतेहपुर सीकरी में उन्होंने इबादतखाना बनवाया, जहाँ विभिन्न धर्मों के विद्वान विचार-विमर्श करते थे। इसी से प्रभावित होकर अकबर ने दीन-ए-इलाही नाम का एक नया नैतिक मार्ग अपनाया, जो सभी धर्मों के अच्छे विचारों का मिश्रण माना जाता है।

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अकबर की कला और संस्कृति:

अकबर कला, संगीत, साहित्य और वास्तुकला के बहुत बड़े संरक्षक हुआ करते थे।

उनके शासन में प्रसिद्ध नवरत्न थे

  1. अबुल फज़ल: अकबरनामा के लेखक।
  2. अब्दुल रहीम खान-ए-खाना: एक विद्वान और कवि।
  3. बीरबल: एक मजाकिया और बुद्धिमान सलाहकार, जिनका असली नाम महेशदास था।
  4. मुल्ला दो पियाज़ा: एक विद्वान।
  5. फैजी: अकबर के शिक्षा मंत्री और शहजादों के गुरु|
  6. राजा मान सिंह: कुशल सेनापति और अकबर के विश्वसनीय सलाहकार
  7. राजा टोडरमल: एक राजस्व और अकबर के वित्त मंत्री।
  8. फकीर अज़ियाओ-दीन: एक सूफी संत और अकबर के निजी चिकित्सक।
  9. मियां तानसेनएक प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकार और कवि, जिनका असली नाम रामतनु था। 

 बादशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी, आगरा किला और लाहौर किला जैसे महत्वपूर्ण वास्तु निर्माण कराए थे।

फारसी और भारतीय संस्कृतियों का सुंदर मिश्रण मुगल कला में ही दिखाई देता है।

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बादशाह अकबर की मृत्यु कब हुई थी?

अकबर की मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 को आगरा में हुई थी। उनकी समाधि सिकंदरा (आगरा) में स्थित है। उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र जहाँगीर ने मुग़ल साम्राज्य की सत्ता संभाली।

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निष्कर्ष:

अकबर एक महान शासक, कुशल प्रशासक और उदार हृदय वाले वेयक्ति थे। उन्होंने मुगल साम्राज्य को न केवल विशाल बनाया, बल्कि उसे अपनी सूझ बुझ से स्थिर और मजबूत नींव भी दी। उनकी धर्म-नीति, प्रशासनिक सुधार और सांस्कृतिक योगदान आज भी भारतीय इतिहास में मिसाल के रूप में याद किए जाते हैं।

अकबर का शासन भारत के इतिहास में स्वर्णिम युग माना जाता है, जो एकता, समृद्धि और सांस्कृतिक विकास का प्रतीक है।

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