मध्यकालीन भारत पर 20 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी | Medieval India 20 MCQ in Hindi

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मध्यकालीन भारत

राजनीतिक परिवर्तन, सांस्कृतिक विकास और भारतीय इतिहास पर प्रभाव

मध्यकालीन भारत का इतिहास लगभग 8वीं सदी से 18वीं सदी तक फैला हुआ है। यही वह समय था जिसे भारतीय इतिहास में बड़े राजनीतिक बदलावों, नए राजवंशों के उदय, कला-संस्कृति के विकास और सामाजिक परिवर्तन का दौर माना जाता है। इस काल को तीन प्रमुख हिस्सों में बाँटा जाता है,

  1. प्रारम्भिक मध्यकाल
  2. दिल्ली सल्तनत काल, और
  3. मुगल काल।

सबसे पहले हम इस लेख में हम मध्यकालीन भारत की प्रमुख घटनाओं, शासकों और संस्कृति के विकास को सरल भाषा में समझेंगे, उसके बाद दिए गए MCQ को Solve करने की कोशिश करेंगे, इससे हमें खुद पता चल जाएगा की हमें मध्यकालीन भारत के इतिहास में कितनी जानकारी है।___________________________________________

1. मध्यकालीन भारत की शुरुआत: राजपूत और क्षेत्रीय साम्राज्य

प्रारम्भिक मध्यकाल (7001200 ईस्वी) में भारत में कई शक्तिशाली क्षेत्रीय राजवंश उभरे हैं। जैसे की गुर्जर-प्रतिहार, चोल, पाल, राजपूत, राष्ट्रकूट और चालुक्य इनमे प्रमुख थे।

राजपूतों ने उत्तर भारत में मजबूत शासन स्थापित किया था, जिसमें चित्तौड़, अजमेर, मेवाड़ जैसे क्षेत्र केंद्र रहे है।

चोल साम्राज्य दक्षिण भारत का सबसे शक्तिशाली शासन था। “राजा राजराज चोल” और “राजेन्द्र चोल” प्रथम ने दक्षिण भारत में प्रशासन, नौसेना और मंदिर वास्तुकला को नई पहचान दी थी।

इसी काल में मंदिर निर्माण का स्वर्ण युग देखा गया है। खजुराहो, कोणार्क, और तंजावूर के मंदिर इसी समय की देन हैं।

यह अवधि राजनीतिक रूप से बिखरी हुई थी, पर सांस्कृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध थी।___________________________________________

2. दिल्ली सल्तनत की स्थापना और विस्तार (12061526)

मध्यकालीन भारत का दूसरा महत्वपूर्ण चरण माना जाता है दिल्ली सल्तनत को। 1206 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना कर दिल्ली सल्तनत की नींव रखी थी।

यह सल्तनत काल में पाँच वंश शामिल थे जो की इस प्रकार हैं

  • 1. गुलाम वंश
  • 2. खिलजी वंश
  • 3. तुगलक वंश
  • 4. सैयद वंश
  • 5. लोदी वंश 

सल्तनत काल में कई बड़े परिवर्तन हुए हैं जैसे की...

इल्तुतमिश के समय दिल्ली मजबूत राजनीतिक केंद्र बन गया था।

अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत तक अपना प्रभाव बढ़ाया और आर्थिक सुधार किए थे।

मोहम्मद बिन तुगलक जो की अपने असफल प्रयोगों, राजधानी हस्तांतरण और टोकन मुद्रा के लिए प्रसिद्ध है।

सल्तनत काल में फारसी भाषा का विकास हुआ था और कई महत्वपूर्ण इमारतों का निर्माण हुआ था, जैसे कि कुतुब मीनार का विस्तार।

यह समय भारत में इस्लामी संस्कृति, कला, स्थापत्य और प्रशासनिक ढांचे के प्रसार का प्रमुख दौर माना जाता है।

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3. मुगल साम्राज्य: स्वर्णिम मध्यकाल (15261707)

1526 में बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोधी को हराकर मुगल साम्राज्य की नींव रखी थी। मुगल काल मध्यकालीन भारत का सबसे स्थिर और समृद्ध काल माना जाता है।

अकबर (15421605)

मुगल साम्राज्य का वास्तविक विस्तार और स्थायित्व अकबर के समय हुआ था।

अकबर ने सुलह-ए-कुल नीति अपनाकर धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया था।

प्रशासन में मनसबदारी व्यवस्था लागू की थी।

फतेहपुर सीकरी का निर्माण कराया था।

कला, संगीत और साहित्य को संरक्षण मिला इस काल में मिला था।

जहांगीर और शाहजहाँ

सबसे ज्यादा जहांगीर के समय कला और चित्रकला का विकास चरम पर रहा है।

शाहजहाँ ने भारत की सबसे सुंदर इमारत ताजमहल का निर्माण कराया है। उसके शासनकाल में वास्तुकला में अद्भुत उन्नति हुई है।

औरंगजेब

औरंगजेब के काल में साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार हुआ था, परंतु धार्मिक नीतियों के कारण असंतोष भी बढ़ा था। उसकी मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य तेज़ी से कमजोर होने लग गया।___________________________________________

4. मध्यकालीन भारत की संस्कृति, कला और समाज

मध्यकालीन भारत केवल युद्ध और साम्राज्यों का इतिहास नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक विकास की कहानी भी है, हमें इसे दोनों नज़रिए से देखने की ज़रुरत है।

भक्ति आंदोलन और सूफी आंदोलन ने सामाजिक एकता को मजबूत किया था।

इस दौर में कबीर, गुरु नानक, मीरा, रहीम और रसखान जैसे संतों ने प्रेम और समाज सुधार का संदेश दिया था।

मुगल काल ने भारत में मिनिएचर पेंटिंग, संगीत और इमारतों की कला को नया रूप दिया था।

इस समय हिंदी, उर्दू और फारसी साहित्य का तेज़ी से विकास हुआ था।___________________________________________

निष्कर्ष:

मध्यकालीन भारत का इतिहास विविधताओं से भरा हुआ है। यही वह दौर था जब भारतीय संस्कृति ने नए रूप, नए विचार और नए राजनीतिक ढांचे को अपनाया था। दिल्ली सल्तनत से लेकर मुगल साम्राज्य तक, हर काल ने भारत की पहचान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कला, साहित्य, वास्तुकला और समाज सभी क्षेत्रों में मध्यकालीन भारत ने एक गहरी छाप छोड़ी है, जो आज भी भारतीय इतिहास के गौरवशाली अध्याय का हिस्सा माना जाता है।

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