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बाबर
मुगल
साम्राज्य का संस्थापक
भारतीय इतिहास में मुगल साम्राज्य की
नींव रखने वाले प्रथम शासक “बाबर” जिसका
पूरा नाम “ज़हीर-उद-दीन मुहम्मद बाबर” है
को आज भी एक साहसी योद्धा, दूरदर्शी शासक और प्रभावशाली नेता के रूप में
याद किया जाता है।
बाबर का जीवन संघर्षों, युद्धों
और राजनीतिक उतार–चढ़ावों से भरा रहा है, लेकिन
उसकी रणनीति और नेतृत्व क्षमता इतनी मजबूत थी कि वह भारत में एक शक्तिशाली
साम्राज्य स्थापित करने में पूरी तरह सफल हुआ।
यह लेख बाबर के जीवन, उसके
अभियानों, व्यक्तित्व और भारत में उसकी उपलब्धियों पर
केंद्रित है। इसी लेख के अनुसार हमने आप के लिए 20 प्रश्नों का MCQ QUIZ तैयार
किया है ताकि आप इस पुरे लेख को पढ़ कर बाबर पर आधिरत MCQ को हल कर सके।
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बाबर का प्रारंभिक जीवन
बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को फ़रग़ाना (वर्तमान उज़्बेकिस्तान) में हुआ था। वह तैमूर (तैमूरलंग) और चंगेज़ ख़ान की रक्त रेखा से संबंधित था। उसके पिता उमर शेख मिर्ज़ा फ़रग़ाना के शासक रहे हैं, जबकि मां कुतलुग निगार ख़ानुम मंगोल खानदान से थीं। इसी कारण बाबर में बचपन से ही नेतृत्व, युद्धकला और प्रशासन की समझ विकसित हो सकी थी।
हैरानी की बात यह है की सिर्फ 12
साल की उम्र में बाबर फ़रग़ाना का शासक बन गया था, शुरूआती वर्षों में उसे लगातार सत्ता
संघर्ष, विद्रोह और दुश्मनों का सामना करना पड़ रहा था।
इन्हीं कठिन परिस्थितियों में बाबर ने दृढ़ निश्चय, साहस और रणनीति का अनुभव हासिल किया
था, जो आगे चल कर उसे भारत में अपने साम्राज्य को स्थापित करने में मददगार साबित
हुई।
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बाबर का काबुल पर अधिकार:
लगातार संघर्षों के बीच बाबर ने मध्य एशिया में स्थिर सत्ता स्थापित करने के लिए काबुल की ओर रुख किया था और 1504 में काबुल पर कब्ज़ा कर लिया था। काबुल उसके लिए एक सुरक्षित आधार क्षेत्र बन गया था। यहीं से वह भारत पर कई अभियानों की योजना बनाने लगा।
काबुल में रहते हुए बाबर ने अपनी सैन्य
ताकत को बढाया, अफ़गान और तुर्क योद्धाओं को अपने साथ जोड़ा और
एक शक्तिशाली सेना खड़ी कर ली।
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भारत पर बाबर के आक्रमण:
भारत में राजनीतिक अस्थिरता और दिल्ली
सल्तनत की कमजोर हालत ने ही बाबर को आकर्षित किया था। लोधी वंश के अंतर्गत आपसी
कलह और क्षेत्रीय शासकों की विवादित स्थिति का फायदा उठाकर ही बाबर ने भारत पर
पाँच बार आक्रमण किया था।
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1. पानीपत का पहला युद्ध (1526):
यह युद्ध बाबर और दिल्ली के सुल्तान
इब्राहिम लोधी के बीच लड़ा गया था। बाबर की सेना कम संख्या में होने के बावजूद भी
बाबर की तोपों, तीरंदाजी और रणनीति के कारण लोधी की बड़ी सेना
हार गई। इस युद्ध को भारतीय इतिहास का निर्णायक मोड़ माना जाता है क्योंकि इसी के
बाद भारत में मुगल साम्राज्य की नींव शुरुआत हुई थी।
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2. खानवा का युद्ध (1527):
यह युद्ध बाबर और मेवाड़ के राणा सांगा
के बीच लड़ा गया था। राणा सांगा की बड़ी राजपूत सेना के बावजूद बाबर ने अपनी
उत्कृष्ट युद्ध तकनीक, तोपों के उपयोग और फ़ौजी अनुशासन के कारण जीत
हासिल कर ली थी। इस युद्ध ने भारत में उसकी सत्ता को और स्थिर बना दिया था।
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3. चंद्रेरी का युद्ध (1528):
यह युद्ध मालवा के मेदिनी राय के विरुद्ध
लड़ा गया था। इसमें भी बाबर हर बार की तरह विजयी रहा और मध्य भारत पर अपना प्रभाव
बढ़ा सका।
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बाबर का स्वभाव और व्यक्तित्व:
बाबर एक कुशल योद्धा होने के साथ-साथ
संवेदनशील स्वभाव का वेयक्ति भी था। वह अपनी आत्मकथा "तुवारिख-ए-बाबरी"
या "बाबरनामा" में प्रकृति,
लोगों और घटनाओं का बहोत ही सुंदर
वर्णन करता है। इससे पता चलता है कि वह केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि
एक लेखक और कवि भी था।
वह अनुशासित, न्यायप्रिय
और दूरदर्शी शासक के रूप में भी जाना जाता है।
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भारत में बाबर की उपलब्धियां क्या है?
भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना
बाबर की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
उसने भारत की राजनीति में स्थायित्व
लाने की नींव रखी है।
बाबर ने आधुनिक युद्ध तकनीक, खासकर
तोपों और बंदूकों का प्रयोग किया था, जो भारतीय युद्धकला के लिए बिलकुल नया था।
प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर बनाने की
दिशा में काफी प्रयास किए।
कला, संस्कृति और बागवानी का शौकीन होने के
कारण उसने कई सुंदर बागों का निर्माण कराया है।
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बाबर की मृत्यु कब और कैसे हुई?
बाबर का निधन 1530
में आगरा में हुआ था। उसके बाद उसका बेटा हुमायूँ मुगल साम्राज्य का शासक बन गया।
बाबर ने भले ही कम समय शासन किया, लेकिन उसकी रणनीति और नीतियों ने एक ऐसे
साम्राज्य की आधारशिला रखी जो लगभग तीन शताब्दियों तक भारत में कायम रहा, यही बाबर
की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
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निष्कर्ष:
बाबर की वीरता, युद्धकला, नेतृत्व
और दूरदर्शिता ने ही उसे भारत के महान ऐतिहासिक शासकों में एक विशेष स्थान दिलाया
है। उसने न केवल मुगल साम्राज्य की स्थापना की बल्कि भारत की राजनीति और संस्कृति
की दिशा बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बाबर का जीवन संघर्षों से भरा
था, लेकिन उसकी उपलब्धियां आज भी इतिहास का एक
महत्वपूर्ण अध्याय मानी जाती हैं।
