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महाजनपद
काल, मौर्य
साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य संक्षिप्त परिचय
हमारे भारतीय इतिहास का प्राचीन काल
बेहद समृद्ध, विकसित
और सांस्कृतिक रूप से उन्नत रहा है। इस पूरे दौर में तीन प्रमुख चरण सबसे अधिक
महत्वपूर्ण माने जाते हैं
- महाजनपद काल
- मौर्य साम्राज्य
- गुप्त साम्राज्य
इन तीनों कालों ने भारत की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना को स्थायी रूप से प्रभावित किया है। इस लेख में हम इन तीनों के उदय, विस्तार और उनके प्रमुख योगदानों को सरल भाषा में समझेंगे, और आप MCQ के माध्यम से प्रश्नों के उत्तरों को याद कर सकोगे।___________________________________________
1. महाजनपद काल आरंभिक राज्य व्यवस्था
का विकास:
छठी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास भारत
में 16 बड़े राज्यों का उल्लेख मिलता है, जिन्हें महाजनपद कहा गया है। यही वह
समय था जब भारत में जनजातीय संगठन एक व्यवस्थित राज्य-व्यवस्था में बदलने लगे थे।
महाजनपदों में मगध, कोशल, अवंती, वत्स, कुरु, पंचाल, मत्स्य, काशी आदि प्रमुख थे।
महाजनपदों की विशेषताएँ:
कृषि, व्यापार और उद्योग का विकास तेजी से
हुआ था।
राजाओं के साथ-साथ गणराज्य भी अस्तित्व
में थे, जैसे
वज्जी संघ इत्यादि।
इसी काल में बौद्ध धर्म और जैन धर्म का
उदय हुआ था, जिसने
समाज और राजनीति दोनों को प्रभावित किया था।
भारत में नगर जीवन का विकास, सिक्कों का प्रयोग और स्थायी सेना की शुरुआत
इसी समय हुई थी।
महाजनपद काल ने भारत में आगे आने वाले
बड़े साम्राज्यों की नींव राखी थी।
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2. मौर्य साम्राज्य – भारत का पहला सबसे बड़ा एकीकृत साम्राज्य:
मौर्य साम्राज्य की स्थापना लगभग 322 ईसा पूर्वमें चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी। चाणक्य (कौटिल्य) की रणनीति और मार्गदर्शन में चंद्रगुप्त ने नंद वंश को परास्त किया था और एक विशाल साम्राज्य खड़ा किया था। यह भारत का पहला ऐसा साम्राज्य था जिसने उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक विशाल क्षेत्र पर शासन किया था।
मौर्य साम्राज्य की खास बातें क्या है ?
चंद्रगुप्त मौर्य:
मजबूत सेना, व्यवस्थित प्रशासन और कड़े कानून
व्यवस्था की स्थापना की थी।
ग्रीक शासक सेल्युकस निकेटर को हराया था और उसके साथ मैत्री संधि भी की थी।
बिंदुसार:
इन्होने साम्राज्य को दक्षिण भारत तक विस्तारित किया था।
सम्राट अशोक:
मौर्य साम्राज्य का सबसे महान शासक सम्राट
अशोक को ही माना जाता है।
कलिंग युद्ध के बाद उन्होंने बौद्ध
धर्म अपनाया और अहिंसा का मार्ग अपनाया था।
धर्म नीति, स्तंभ लेख और शिलालेखों के माध्यम से
नैतिक शासन आदर्श पेश किया था।
अशोक के समय में प्रशासनिक व्यवस्था अत्यंत उन्नत थी और पूरे साम्राज्य में एकता का भाव मजबूत रहता था।
मौर्य साम्राज्य का क्या महत्व है?
केंद्रीकृत प्रशासन प्रणाली का विकास
किया है।
सड़कें, सिंचाई व्यवस्था और व्यापार का विस्तार
किया है।
विभिन्न संस्कृतियों के बीच संपर्क और
समन्वय बनाया है।
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“चंद्रगुप्त” को ही गुप्त साम्राज्य के संस्थापक माना जाता है।
गुप्त साम्राज्य की मुख्य विशेषताएँ
क्या है?
इन्हें भारतीय नेपोलियन कहा जाता है।
अनेक विजयों ने साम्राज्य को बहुत व्यापक बनाया था।
चंद्रगुप्त-II (विक्रमादित्य):
इनके समय कला, साहित्य, विज्ञान और व्यापार अपने चरम पर
पहुँचे।
नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षण केंद्र
विश्व भर में प्रसिद्ध हुए थे।
कैलाश मंदिर, गुप्त सिक्के और मूर्तिकला गुप्त कला की श्रेष्ठता को दर्शाते हैं।
गुप्त साम्राज्य को स्वर्ण युग क्यों
कहा जाता है?
साहित्य में कालिदास, आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे महान विद्वान गुज़रे हैं।
विज्ञान और गणित में दशमलव पद्धति, खगोल विज्ञान और चिकित्सा का विकास हुआ
था।
समाज में शांति, समृद्धि और व्यापार की उन्नति हुई थी।
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निष्कर्ष:
महाजनपद काल ने भारत में राज्य
व्यवस्था और आर्थिक गतिविधियों की नींव रखी थी।
मौर्य साम्राज्य ने पहली बार एक विशाल
और केंद्रीकृत शासन की स्थापना की, जबकि
गुप्त साम्राज्य ने कला, संस्कृति और विज्ञान को नया स्वर्णिम
रूप दिया है। इन तीनों कालों ने मिलकर भारतीय इतिहास को गौरवशाली बनाया और आधुनिक
भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
