बादशाह जहाँगीर पर 20 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी | Jahangir 20 Important MCQ in Hindi

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बादशाह जहाँगीर

जीवन, शासन, कला-प्रेम और मुगल इतिहास में योगदान

बादशाह जहाँगीर मुगल साम्राज्य के चौथे शासक थे और उन्हें न्यायप्रिय, कलाप्रेमी और संवेदनशील बादशाह के रूप में याद जाता है। बादशाह जहाँगीर का पूरा शासनकाल कला, चित्रकला और साहित्य के उत्कर्ष के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। उनका शासन मुगल इतिहास में स्थिरता और सांस्कृतिक विकास का महत्वपूर्ण काल माना गया है।

इस लेख में हम जहाँगीर के जीवन, शासन, नीतियों और योगदान को सरल और आसान भाषा में समझेंगे, इसके साथ ही आप MCQ QUIZ को हल करके अपने ज्ञान की जांच कर सकते हैं।

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जहाँगीर का प्रारंभिक जीवन:

जहाँगीर का जन्म 31 अगस्त 1569 को अकबर बादशाह और महारानी जोधाबाई के घर हुआ था। उनका बचपन शाहजादा सलीम के नाम से बीता है। वह बचपन से ही तेज, भावुक और कलाओं के प्रेमी रहे थे।

लेकिन युवा अवस्था में उनका स्वभाव थोड़ा विद्रोही हो गया था और उन्होंने कई बार अकबर के आदेशों का पालन करने से इनकार कर दिया था। फिर भी अकबर हमेशा सलीम को अपना वारिस मानते रहे।

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जहाँगीर का सिंहासन पर बैठना:

1605 में अकबर की मृत्यु के बाद सलीम ने जहाँगीर नाम से मुगल साम्राज्य का शासन संभाला। उनके शासनकाल की शुरुआत ही “दारा शिकोह” और कुछ राजकुमारों के विद्रोहों से हुई थी, लेकिन जहाँगीर ने समझदारी और कूटनीति से इन चुनौतियों का सामना किया और समाधान किया।

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जहाँगीर का प्रशासन और नीतियाँ:

जहाँगीर एक न्यायप्रिय शासक माने जाते हैं। उनका प्रसिद्ध प्रतीक "झाँझर का घंटा" (Chain of Justice) था, जिसे लाल किले के बाहर लगाया गया था। इसके माध्यम से कोई भी नागरिक सीधे बादशाह से न्याय की गुहार लगा सकता था।

1. शांतिपूर्ण शासन

जहाँगीर का शासन अपेक्षाकृत शांत और स्थिर रहा है।

उन्होंने प्रशासन में सुधार और कानून-व्यवस्था को प्राथमिकता दी थी।

2. राजपूतों और अन्य राज्यों से संबंध

उन्होंने राजपूतों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे थे।

मेवाड़ के महाराणा अमर सिंह के साथ युद्ध के बाद समझौता किया और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए।

3. विदेशियों से संबंध

जहाँगीर के समय में यूरोपीय व्यापारियों, विशेषकर अंग्रेजों की भारत में आगमन बढ़ा था।

1615 में अंग्रेज दूत सर थॉमस रो का मुगल दरबार में स्वागत किया गया था, जो आगे चलकर ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रसार का कारण बना।

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जहाँगीर और नूरजहाँ:

जहाँगीर की पत्नी नूरजहाँ उनके शासनकाल की सबसे प्रभावशाली महिला मानी जाती है।

नूरजहाँ अत्यंत प्रतिभाशाली, बुद्धिमान और कूटनीतिक थीं।

जहाँगीर ने शासन में उन्हें काफी अधिकार दिए थे।

कई फ़रमान और सिक्के भी नूरजहाँ के नाम से जारी हुआ करते थे, जिससे पता चलता है कि वह शासन में एक प्रमुख भूमिका निभाती थीं।

कला, साहित्य और चित्रकला का उत्कर्ष:

जहाँगीर कला के बहुत बड़े संरक्षक थे।

उनके समय में मुगल चित्रकला अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुँची थी।

कलाकारों को पूरी स्वतंत्रता दी गई थी, जिससे कई उत्कृष्ट चित्र बनाए गए थे।

प्रकृति, फूल-पत्तियाँ, पक्षी और जानवरों की पेंटिंग्स पर खास ध्यान दिया जाता था।

उन्होंने अपनी आत्मकथा "तुज़ुक-ए-जहाँगीरी" लिखी, जो उनकी नीतियों और विचारों को समझने का महत्वपूर्ण दस्तावेज है।

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जहाँगीर के जीवन में चुनौतियाँ:

खु़र्रम (शाहजहाँ) का विद्रोह

कंधार पर फारसियों का कब्ज़ा

मुगल साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में अस्थिरता

इन चुनौतियों के बावजूद जहाँगीर प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखने में सफल रहे थे।

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जहाँगीर की मृत्यु:

जहाँगीर की मृत्यु 28 अक्टूबर 1627 को कश्मीर से लौटते समय हुई थी। उन्हें पाकिस्तान के शहर लाहौर में शाहदरा बाग में दफनाया गया है।

उनके बाद उनके पुत्र शाहजहाँ मुगल साम्राज्य का अगला बादशाह बना।

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निष्कर्ष:

जहाँगीर का शासन कला, न्याय और सांस्कृतिक विकास का काल माना जाता है। उन्होंने न केवल प्रशासन को स्थिर रखा था, बल्कि चित्रकला, साहित्य और वास्तुकला को नई दिशा दी थी। नूरजहाँ की बुद्धिमत्ता और प्रभाव ने भी मुगल शासन को और मजबूत बनाया था।

जहाँगीर एक ऐसे बादशाह के रूप में याद किए जाते हैं जिन्होंने कला और न्याय को अपनी शासन-व्यवस्था का आधार बनाया और मुगल इतिहास को नई ऊँचाई प्रदान की।

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