Learn with Daily IQ Dose
Start Quiz
Question of
( ❌ )
Fullscreen
Marks
✓
+1
❌
-0.33
Time
MCQ Result ❌
| Result | प्राप्त अंक |
|---|---|
| Total Questions | |
| Selected Questions | |
| Total Correct Questions | |
| Total Wrong Questions | |
| Skip Questions | |
| Final Persantage % | |
| Final Score |
जलियांवाला बाग हत्याकांड
परिचय:
जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के
स्वतंत्रता संग्राम का सबसे दर्दनाक और क्रूर अध्याय है। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर
के जलियांवाला बाग में हजारों निर्दोष लोगों पर अंग्रेज अधिकारी जनरल डायर ने
अंधाधुंध गोलियाँ चलाने का आदेश दिया था। यह घटना ब्रिटिश शासन की क्रूरता का
प्रतीक बन गई और पूरे देश में आजादी की आग को और तीव्र कर गई, इस घटना के बाद भारत
के लोग अपने गुस्से पर काबू नहीं कर सके। इस हत्याकांड ने भारत के राष्ट्रीय
आंदोलन को निर्णायक मोड़ दिया था।
1. पृष्ठभूमि:
प्रथम विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों ने
रॉलेट एक्ट 1919 लागू किया, जिसके
तहत बिना मुकदमे के गिरफ्तारी संभव थी।
पूरे देश में इस काले कानून का तीव्र
विरोध हुआ, और लोग अपना विरोध जताने लगे।
पंजाब में आंदोलन बेहद जोरों पर था और
जनता शांतिपूर्ण सभा आयोजित करती थी।
2. घटना का दिन – 13 अप्रैल 1919:
बैसाखी का त्योहार था, इसलिए हजारों लोग जलियांवाला बाग में मौजूद थे।
उस समय लोग शांतिपूर्ण सभा कर रहे थे।
तभी जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ
वहाँ पहुँचा और बाग के सभी निकास बंद कर दिए।
3. गोली चलाने का आदेश:
बिना किसी सुचना और चेतावनी के डायर ने
सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दिया।
लगभग 10–15
मिनट तक लगातार गोलियाँ चलती रहीं, लोग अपनी जान बचाने के लिए यहाँ वहाँ भागने
लगे, कुछ लोग कुएं में कूदे तो कुछ लोग बाहेर निकलने के रास्ते की ओर दौड़े, लेकिन
हर तरफ से मौत ने उन्हें घेर रखा था|
आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 379 लोग
मारे गए, जबकि भारतीयों के अनुसार 1000 से अधिक लोग शहीद
हुए थे।
4. ब्रिटिश प्रतिक्रिया:
बेशर्म ब्रिटिश सरकार ने डायर की
कार्रवाई को सही ठहराने की कोशिश की थी।
बाद में बने हंटर आयोग ने
घटना की निंदा की,
लेकिन डायर को कोई कठोर दंड नहीं दिया
गया, यही ब्रिटिश सरकार की सबसे बड़ी बेशर्मी और घिनौनपन साबित हुआ।
5. भारतीय प्रतिक्रिया:
महात्मा गांधी ने इसके विरोध में असहयोग आंदोलन शुरू
कर दिया।
यह घटना भारतीयों के मन में ब्रिटिश
शासन के प्रति गहरा क्रोध और अविश्वास ले आई थी।
रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी नाइटहुड उपाधि
लौटा दी थी।
6. ऐतिहासिक महत्व:
यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में
निर्णायक मोड़ साबित हुई।
जनता का विश्वास समाप्त हो गया, लोगों
को अच्छे से समझ आ गया की ब्रिटिश सरकार सुधार कर सकती है, लेकिन नहीं कर सकी।
अंग्रेजों की वास्तविक मानसिकता दुनिया के सामने उजागर हुई, उनका क्रूर और इंसानियत के खिलाफ जो करतूत थी वह सब दुनिया के सामने आ गया।
निष्कर्ष:
जलियांवाला बाग हत्याकांड 1919 भारतीय इतिहास का अत्यंत दुःखद, अमानवीय और हृदयविदारक अध्याय है। इस घटना ने देश की जनता को एक साथ खड़ा कर दिया और स्वतंत्रता की लड़ाई को और अधिक तीव्र कर दिया था। यह हत्याकांड हमेशा भारत की आजादी के लिए दिए गए बलिदानों की याद दिलाता रहेगा।
