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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 4 से 6 (Article 4 to 6 of Indian Constitution) संविधान के पहले दो भागों “Union and its Territory” तथा “Citizenship” से जुड़े हुए हैं। भारतीय संविधान का ढांचा अत्यंत विस्तृत और सुसंगठित है, जिसमें हर अनुच्छेद देश के शासन तंत्र की नींव रखता है। इन अनुच्छेदों के माध्यम से भारत की भौगोलिक संरचना और नागरिकता के प्रारंभिक प्रावधान को स्पष्ट किए गए हैं।
मुख्य बिंदु:
अनुच्छेद 4: यह भारतीय
संविधान में उन कानूनों से संबंधित है जो अनुच्छेद 2 और 3 के
तहत नए राज्यों के निर्माण या मौजूदा राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन के लिए बनाए
जाते हैं। यह अनुच्छेद यह स्पष्ट करता है कि ऐसे कानूनों को संविधान संशोधन नहीं
माना जाएगा, भले ही वे संविधान की पहली या चौथी अनुसूची में
बदलाव करें। इसका उद्देश्य राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित प्रक्रिया को पूरी तरह
से सरल और प्रशासनिक रूप से सक्षम बनाना है।
अनुच्छेद 5: यह नागरिकता
के प्रारंभिक प्रावधानों से संबंधित है। जब भारत का संविधान लागू हुआ था (26
जनवरी 1950), तब यह अनुच्छेद यह निर्धारित करता था
कि कौन व्यक्ति भारत का नागरिक कहलाने का पात्र होगा और कौन नहीं। इसमें नागरिकता
को तीन प्रमुख आधारों पर परिभाषित किया गया है जैसे की ... जन्म, वंश
और निवास। अर्थात्, जो व्यक्ति भारत में जन्मा हो, भारत
में निवास करता हो, या जिनके माता-पिता भारतीय मूल के हों, उन्हें
नागरिकता प्राप्त होती है।
अनुच्छेद 6: यह विशेष रूप से भारत-पाक विभाजन के बाद
पाकिस्तान से भारत आने वाले प्रवासियों की नागरिकता से संबंधित है। यह अनुच्छेद
बताता है कि वे लोग जो 19 जुलाई 1948 से पहले भारत
में आ गए थे और स्थायी रूप से यहाँ बस गए थे, उन्हें भारतीय
नागरिकता का अधिकार प्राप्त होगा। जो लोग इस तिथि के बाद आए, उन्हें
संबंधित प्राधिकरण से पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक था।
इन तीनों अनुच्छेदों का सामूहिक अध्ययन हमें यह
दर्शाता है कि संविधान निर्माताओं ने भारत के भूगोल और जनसंख्या की विविधता को
ध्यान में रखकर ऐसा ढांचा तैयार किया था, जिससे भारत एक
एकीकृत राष्ट्र के रूप में विकसित हो सके, और आगे बढ़ता रहे। अनुच्छेद 4 से
6 भारतीय संविधान की उस दृष्टि को दर्शाते हैं जिसमें संघ की अखंडता और
नागरिकता की समानता दोनों को समान महत्व दिया गया है।
आज भी इन अनुच्छेदों का अध्ययन न केवल विधि के छात्रों के लिए, बल्कि सामान्य ज्ञान और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यह भारतीय संविधान की गहराई और उसके दूरदर्शी दृष्टिकोण को समझने की कुंजी प्रदान करता है।
