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मौर्य साम्राज्य
परिचय:
मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का पहला
विशाल और संगठित साम्राज्य था, जिसने लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर
शासन किया था। इसकी स्थापना 321 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी। मौर्य
साम्राज्य प्रशासन, सेना, अर्थव्यवस्था, व्यापार और कला में अत्यंत विकसित था। इसके
सबसे प्रमुख शासक चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक रहे हैं।
1. स्थापना:
321 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश को पराजित कर मगध पर शासन स्थापित किया था। पाटलिपुत्र (आज का पटना) राजधानी बनी थी।
2. प्रशासन और शासन:
केंद्रीयकृत शासन प्रणाली अपनाई गई थी।
विशाल सैन्य बल, गुप्त लेखपाल और प्रशासनिक विभागों का गठन था।
राज्यव्यवस्था में मंत्री, सचिव और राज्यपाल मौजूद थे।
3. चंद्रगुप्त मौर्य का
योगदान:
साम्राज्य का विस्तार उत्तर भारत, पाटलिपुत्र से लेकर पंजाब और कर्नाटक तक था।
अफ़गानिस्तान और पूर्वी भारत तक का
प्रभाव रहा है।
राज्य की स्थिरता और सुरक्षा के लिए
कठोर कानून और कर प्रणाली बनी थी।
4. अर्थव्यवस्था और
व्यापार:
कृषि, खनिज
और शिल्प आधारित अर्थव्यवस्था बनाई गई थी।
भीतरी और बाहरी व्यापार—सिंधु, गंगा
और समुद्री मार्गों के माध्यम से थी।
कूटनीति और विदेशी व्यापार को बढ़ावा
दिया गया था।
5. अशोक महान:
चंद्रगुप्त मौर्य के पौत्र, अशोक, सबसे
प्रसिद्ध शासक थे।
कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया
था।
धर्मराज्य, अशोक स्तंभ और शिलालेखों के माध्यम से नीति और
कानून लागू किए थे।
सामाजिक कल्याण, सड़कों, कुओं
और अस्पतालों का विकास हुआ था।
6. कला, शिक्षा और संस्कृति:
स्तूप निर्माण (सांची, शंखधार स्तूप)।
मौर्य काल की मूर्तिकला और शिल्प कला
प्रख्यात है।
शिक्षा और ज्ञान के केंद्र—तक्षशिला और नालंदा है।
7. पतन:
अशोक के निधन के बाद साम्राज्य बहोत
कमजोर हो गया था।
साम्राज्य धीरे-धीरे अपस्फीति की ओर
बढ़ा और लगभग 185 ईसा पूर्व तक समाप्त हो गया।
निष्कर्ष:
मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास में
प्रशासन, सामरिक शक्ति, धर्म
और संस्कृति का अद्वितीय उदाहरण है। इसका प्रभाव न केवल भारतीय उपमहाद्वीप तक
सीमित था, बल्कि यह विश्व के इतिहास में भी प्रशंसित शासन
प्रणाली का प्रतीक बन गया है।
